
संत कबीरदास का जन्म 15 वी शताब्दी में हुआ था। 5 जून
कबीरदास जी का जीवन परिचय
नीरू था जो कि उनके वास्तविक माता पिता नहीं थे। उनके पिता एक जुलाहा थे अतः उन्होंने कई कठिनाईयों
के साथ उनका भरण पोषण किया। कबीरदास जी का विवाह लोई नामक स्त्री से हुआ जिनसे उनकी दो संताने
हुई। उनके पुत्र का नाम कमाल व उनकी पुत्री का नाम कमाली था।
अच्छे कर्म करने चाहिए जिसका वर्णन उन्होंने अपने दोहो द्वारा किया है. उनकी कर्मभूमि काशी और बनारस
थे। उन्होंने आचार्य रामानंद जी से शिक्षा दीक्षा ग्रहण की और उन्होंने भी कबीरजी को अपना चेला बना लिए।
कबीरदास जी अत्यंत उच्च विचारो वाले संत थे।वे किसी से कोई भेदभाव नहीं रखते थे चाहे कोई हिन्दू हो या
मुस्लिम। कबीरदास जी की मृत्यु मगहर में संवत 1551 में हुई।
